Saturday 29 October 2011

तीन लोक कौन से है और शिव का धाम कौनसा है ? इन पुरियो के भी पार एक और लोक है जिसे ब्रह्मलोक , परलोक , मुक्तिधाम , शांतिधाम , शिवलोक इत्यादी नामो से यद् किया जाता है इसमे सुनहरे लाल रंग का प्रकाश फैला हुआ है जिसे ही ब्रह्म-तत्व , छठा तत्व अथवा महातत्व कहा जा सकता है इसके अंशमात्र ही में ज्योतिर्बिंदु आत्माये मुक्ति की अवस्था में रहती है यहाँ हरेक धर्म की आत्माओ के संस्थान है I उन सभी के ऊपर , सदा मुक्त ,चेतन्य , ज्योतिबिंदु रूप परमात्मा "सदाशिव " का निवास स्थान है इस लोक में मनुष्यात्मा कल्प के अंत में , सृष्टि का महाविनाश होने के बाद अपने-अपने कर्मो का फल भोग कर तथा पवित्र होकर ही जाती हैI यहाँ मनुष्यात्मा देह बंधन ,कर्म-बंधन तथा जन्म मरण से रहित होती है यहाँ न संकल्प है , न वचन और न कर्म इ इस लोक में परमपिता परमात्मा शिव के सिवाय अन्य कोई "गुरु " इत्यादी नही ले जा सकता इस लोक में जाना ही अमरनाथ ,रामेश्वरम अथवा विश्वेश्वर नाथ की सच्ची यात्रा करना है, क्योंकि अमरनाथ परमपिता शिव यही रहते है I

 तीन लोक कौन से है
     और
         शिव का धाम कौनसा है ?
मनुष्यात्माये मुक्ति अथवा पूर्ण शांति की शुभ इच्छा तो करती है परन्तु उन्हें यह मालूम नही है की मुक्तिधाम अथवा शांतिधाम है कहाँ ? इसी प्रकार , परम प्रिय परमात्मा शिव से मनुष्यात्माये मिलना तो चाहती है और उसे याद भी करती है परन्तु उन्हें यह मालूम नही है कि वह पवित्र धाम कहाँ है जहा से आकर परमपिता शिव इसी सृष्टि पर अवतरित होते है ? यह कितने अश्च्चार्य की बात है की जहाँ से हम सभी मनुष्यात्माये सृष्टि रूपी रंगमंच पर आयी है, उस प्यारे देश को सभी भूल गयी है और वापिस भी नही जा सकती I
                              १. साकार मनुष्य लोक -सामने चित्र में दिखाया गया है कि एक है यह साकार मनुष्य लोक जिसमे इस समय हम है ईसमे सभी आत्माए हड्डी-मांसादी का स्थूल शरीर लेकर कर्म करती है और उसका फल सुख दुःख के रूप में भोगती है तथा जन्म-मरण के चक्कर में भी आती है I  इस लोक में संकल्प , ध्वनि और कर्म तीनो है I इसे ही " पञ्च तत्वों कि सृष्टि अथवा "कर्म- क्षेत्र "भी कहते है इ यह सृष्टि आकाश तत्व के अंश मात्र में है इ इसे सामने त्रिलोक के चित्र में दिखाया गया है क्योंकि इसके बीज रूप परमात्मा शिव , जो कि जन्म -मरण से न्यारे है , ऊपर रहते है I
                             २. सूक्ष्म देवताओ का लोक -इस मनुष्य लोक के सूर्य तथा तारागण के पार तथा आकाश  तत्व के भी पार एक सूक्ष्म  लोक है जहा प्रकाश ही प्रकाश है उस प्रकाश के अंश-मात्र में ब्रह्मा , विष्णु तथा महादेव शंकर की अलग अलग पुरिया है इन देवताओं के शरीर  हड्डी-मांसादी के नहीं बल्कि प्रकाश के है इन्हें दिव्य चक्षुओ के द्वारा ही देखा जा सकता है यहाँ दुःख अथवा अशांति नही होती यहाँ संकल्प तो होते है और क्रियाए भी होती है और बातचीत भी होती है परन्तु आवाज नही होती I
                             ३. ब्रह्मलोक और परलोक - इन पुरियो के भी पार एक और लोक है जिसे ब्रह्मलोक , परलोक , मुक्तिधाम , शांतिधाम , शिवलोक इत्यादी नामो से यद् किया जाता है इसमे सुनहरे लाल रंग का प्रकाश फैला हुआ है जिसे ही ब्रह्म-तत्व , छठा तत्व अथवा महातत्व कहा जा सकता है इसके अंशमात्र ही में ज्योतिर्बिंदु आत्माये मुक्ति की अवस्था में रहती है यहाँ हरेक धर्म की आत्माओ के संस्थान है I
                           उन सभी के ऊपर , सदा मुक्त ,चेतन्य , ज्योतिबिंदु रूप परमात्मा "सदाशिव " का निवास स्थान है इस लोक में मनुष्यात्मा कल्प के अंत में , सृष्टि का महाविनाश होने के बाद अपने-अपने कर्मो का फल भोग कर तथा पवित्र होकर ही जाती हैI  यहाँ मनुष्यात्मा देह बंधन ,कर्म-बंधन तथा जन्म मरण से रहित होती है यहाँ न संकल्प है , न वचन और न कर्म इ इस लोक में परमपिता परमात्मा शिव के सिवाय अन्य  कोई "गुरु " इत्यादी नही ले जा सकता इस लोक में जाना ही अमरनाथ ,रामेश्वरम अथवा विश्वेश्वर नाथ की सच्ची यात्रा करना है, क्योंकि अमरनाथ परमपिता शिव यही रहते है I

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